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डीजीईटी एफएक्यू

डीजीईटी एफएक्यू (पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1. एसडीआई योजना के उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर -योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं :

  1. सरकार में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं के इष्टम प्रयोग द्वारा, निजी संतानों व उद्योगों द्वारा स्कूल छोड़ चुके लोगों, मौजूदा कर्मचारियों,आईटीआई स्नातकों आदि को व्यावसायिक प्रशिक्षण देना ताकि उनकी नियोजनीयता को बढ़ाया जा सके। व्यक्ति में पहले से मौजूद कौशल का पररेकषण व प्रमाणीकरण भी इस योजना के तहत किया जा सकता है।
  2. योग्यता मानकों, पाठ्यक्रम, सीखने की सामग्री और देश में मूल्यांकन मानकों के विकास के क्षेत्र में क्षमता निर्माण करने के लिए।

प्रश्न 2. पाठ्यक्रम व पाठ्यचर्या को कौन तैयार करता है व निश्चित करता है?
उत्तर. उद्योग प्रतिनिधियों, प्रशिक्षण प्रदाताओं,व व्यापार विषज्ञों की एक व्यापार समिति नियोजनीय कौशल की पहचान करती है व एमईएस की पाठ्यचर्या तैयार करती है। पाठ्यक्रम के विकास की प्रक्रिया है:

  • किसी भी क्षेत्र में नियोजनीय कौशल को रोजगार विश्लेषण (काम के विभाजन) के आधार पर श्रम बाज़ार में उद्योगों के परामर्शनुसार पहचान करना।
  • पहचाने गए कौशल के समान प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास।
  • मॉड्यूल को कोर्स मैट्रिक्स में ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज गतिशीलता में इंगित किए अनुसार संगठित करना।
  • विस्तृत पाठ्यक्रम का विकास।
  • उद्योग,प्रशिक्षण प्रदाताओं व व्यापार विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों का व्यापार समिति द्वारा अनुमोदन लेना।
  • नियोक्ताओं/कर्मचारी संगठनों,राज्य सरकारों द्वारा टिप्पणियाँ आमंत्रित करना आदि।
  • एनसीवीटी द्वारा अनुमोदन।

प्रश्न 3. उद्योग की क्या भूमिका है?
उत्तर. उद्योग की भूमिका डिजाइन और योजना के कार्यान्वयन के हर चरण में परिकल्पित की गई है। उद्योग निकायों का प्रतिनिधित्व केंद्रीय शीर्ष समिति व राज्य समितियां करती हैं जिन्हें योजना के कार्यान्वयन की समग्र जिम्मेदारी दी है। अन्य भूमिकाएं हैं:

  • सूक्ष्म स्तर पर रोजगार के उभरते हुए क्षेत्रों का पूर्वानुमान।
  • विभिन्न व्यापारों के लिए व्यापार पाठ्यक्रम का विकास
  • प्रशिक्षण हेतु शिक्षण सामग्री का विकास
  • जहां आवश्यकता हो वहाँ प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देना।
  • जहां ज़रूरत हो वहाँ उनको प्रशिक्षण व परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध करवाना।
  • प्रतिष्ठानों में कार्य के दौरान प्रशिक्षण उपलब्ध करवाना।
  • जांच के मूल्यांकन मानकों का विकास।
  • निगरानी व गुणवत्ता आश्वासन।
  • स्नातकों की नियुक्ति में सहायता।
  • दक्षताओं के मूल्यांकन कर्ताओं के रूप में व्यापार विशेषज्ञों को उपलब्ध करवाना।
  • आईटीआई/अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में उपकरणों का स्वैच्छिक दान।
  • नए व्यापार में अतिथि संकाय उपलब्ध करना।

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