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स्वशासी संगठन

ईपीएफ़ओ तथा ईएसआईसी के कामकाज में वर्तमान प्रगति

कर्मचारी भविष्य-निधि संगठन (ईपीएफ़ओ) तथा कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के प्रोफ़ाइल अधिक सुगमता एवं बेहतर ग्राहक-संतोष के लिए बदलते रहते हैं।

ईपीएफ़ओ का विस्तार 393824 संस्थानों को कवर करते हुए पूरे देश में फैला हुआ है। आज इसके द्वारा चलाई जा रही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत 3.9 करोड़ से भी अधिक कर्मचारी व उनके परिजन लाभान्वित हो रहे हैं। ईपीएफ़ योजना 1952, ईडीएलआई योजना 1976 तथा कर्मचारी बीमा योजना 1995 की कुल मिला कर कॉर्पस राशि लगभग 1,39,000 करोड़ रुपए है। गत वर्षों में, ईपीएफ़ओ ने अपने अभिदाताओं को दी गई सेवाओं तथा किए गए निवेश के आकार में कई गुना वृद्धि की है। अभिदाताओं तथा नियोजकों को बेहतर सेवाएँ उपलब्ध कराने की दृष्टि से, इस संगठन ने जून 2001 से री-इन्वेंटिंग ईपीएफ़ इंडिया नामक परियोजना की शुरुआत की। इस परियोजना का उद्देश्य है अभिदाताओं को बेहतर सेवा मुहैया कराना, अनुपालन की लागत घटा कर नियोक्ताओं को सहायता देना और सभी क्षेत्रों में गुणोत्तर अभिवृद्धि दिलाते हुए इस संगठन को लाभ पहुँचाना। इस परियोजना का एक महत्त्वपूर्ण भाग है ईपीएफ़ के अभिदाताओं को एक अलग-अकेला पहचान नंबर (यूनीक नंबर) यानी सोशल सेक्यूरिटी नंबर आबंटित करना, नियोक्ताओं को बिज़नेस नंबर जारी करना और बिज़नेस प्रक्रिया की रीइंजीनियरिंग करना।

इसके कार्यान्वयन के लिए युक्ति-नीति तैयार कर ली गई है और प्रभावी आंकड़ा-संग्रहण के लिए छोटे-छोटे चरणों में पूरे काम को अंजाम देते हुए सोशल सेक्यूरिटी नंबर का आबंटन शुरु किया जा चुका है। एसएसएन के आबंटन के मानदंड में शामिल है - अलग-अकेले नंबर का केंद्रीकृत नियंत्रण, नंबर आबंटन में व्यक्ति का न्यूनतम हस्तक्षेप और अलग-अकेले नंबर देने में शत-प्रतिशत परिशुद्धता का स्तर बनाए रखना। संक्षेप में, सोशल सेक्यूरिटी नंबर प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने की समस्या को हल करने में और आजकल कामगारों में काम के लिए स्थान बदलते रहने की बढ़ती प्रवृत्ति के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए ईपीएफ़ओ का डाटा-बेस तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

कर्मचारी राज्य बीमा योजना संगठित क्षेत्र में बीमाकृत कर्मचारियों के हित के लिए आवश्यकता पर आधरित सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराती है। ईपीएफ़ओ के मामले की तरह ही, ईएसआईसी ने विभिन्न कामगारों के वर्ग़ों की आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न योजनाएँ बनाने का कठिन काम भी हाथ में लिया है। यह योजना, जो कि 1952 में केवल दो केंद्रों पर 1.20 लाख कर्मचारियों के आरंभिक कवर से शुरु की गई थी, वह आज देश के लगभग 678 केंद्रों पर 71.59 लाख कर्मचारियों को कवर कर रही है। पूरे देश में यह 310.54 लाभार्थियों तथा बीमाकृत लोगों के परिजनों को लाभान्वित कर रही है। यह योजना धीरे-धीरे नए केंद्रों को कवर कर रही है और बीमाकृत लोगों तथा उनके परिजनों की और भी बड़ी संख्या को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक बुनियादी अवसंरचनाओं को तैयार करने के लिए क़दम उठाए जा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत नकद-लाभ का प्रबंधन 850 स्थानीय कार्यालयों तथा उप-कार्यालयों के माध्यम से किया जा रहा है; और चिकित्सकीय सहायता ईएसआई के 141 अस्पतालों, 43 एनेक्सियों, 1451 डिस्पेंसरियों तथा 2789 इंश्यूरेंस मेडिकल प्रैक्टिशनरों के क्लीनिकों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।

गत पाँच वर्षों के दौरान ईएसआईएस में अनेक नए विकास हुए हैं। हर वर्ष यह अतिरिक्त कर्मचारियों को कवर करने के लिए नए क्षेत्रों की ओर बढ़ती रही है। नए कर्मचारियों की संख्या अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग रही है - 1998 में 30500, 2000 में 89030 और 2003 में (जनवरी तक) 46430। रु.40/- प्रतिदिन से कम मज़दूरी पाने वाले कामगारों को अभिदान के लिए अपना भुगतान देने से छूट दे दी गई है। इससे पहले यह सीमा रु.25/- हुआ करती थी। इसका लाभ पूरे देश के लगभग छः लाख बीमाकृत कामगारों को पहुँचा है। पुरानी तथा लंबी चलने वाली बीमारियों से ग्रस्त बीमाकृत कामगारों को राहत देने के लिए, जिन बीमारियों का नाम रुग्णता राहत वाली सूची में शामिल है और जिनके लिए दैनिक मज़दूरी के 70 प्रतिशत तक की अभिवृद्धि पर दो वर्ष तक की अतिरिक्त अवधि उपलब्ध है, उनमें चार नई बीमारियों का नाम जोड़ दिया गया है जो कि बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण तथा कुछ ऐसी बीमारियों के फैलने की मात्रा को देख कर किया गया है जो कि पिछले कुछ वर्षों में उभर कर आई हैं। इस लाभ के लिए अभिदान की शर्त भी रोग पहचाने जाने से पहले दो वर्ष की अवधि में 183 दिनों से घटा कर 156 दिन कर दी गई है।

ईएसआईसी ने हर राज्य में मॉडल अस्पताल बनाने की योजना तैयार की है। तेरह राज्य/केंद्र शासित प्रदेश मॉडल अस्पताल के लिए ईएसआईसी को एक अस्पताल सौंप देने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं। दो अस्पताल हृदय रोगों के लिए सुपर स्पेशालिटी के रूप में विकसित करने के लिए चिह्नित कर लिए गए हैं, जैसे दिल्ली में रोहिणी और महाराष्ट्र में छिंदवाड़ा।

राज्यों में चिकित्सा सुविधा का स्तर उठाने के लिए, राज्य सरकारों को इस चिकित्सा योजना को चलाने हेतु दी जाने वाली राशि को 1.4.2003 से 87.5 प्रतिशत बढ़ा कर रु.700 प्रति व्यक्ति कर दिया गया है। ईएसआईसी ने ईएसआई के अंतर्गत चिकित्सा सेवाओं के बेहतर करने के लिए कार्य योजना तैयार की हैं जिनमें अस्पतालों के आधुनिकीकरण के लिए इन विषयों पर फ़ोकस किया गया है - उनकी आपात सेवाओं तथा डायग्नोस्टिक सुविधाओं का स्तर उठाना, रोगों की प्रोफ़ाइलों के अनुसार विभाग बनाना, कचरा प्रबंधन करना, सघन चिकित्सा सेवाओं का प्रावधान करना, शिकायत निपटान सेवाओं को सुधारना, शिक्षा कार्यक्रमों को जारी रखना, प्रयोगशालाओं का कंप्यूटरीकरण तथा उन्नयन, इत्यादि। यह कार्य योजना 1998 से परिचालन में है। ईएसआईसी ने योगासन तथा अन्य चिकित्सा पद्धतियों को लोकप्रिय बनाने के लिए भी कुछ नई पहल की हैं और ईएसआई अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में इन सुविधाओं को स्थापित करने के लिए चरणबद्ध कार्यक्रम निर्धारित किए हैं।

संगठित क्षेत्र में कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा

संगठित क्षेत्र में कामगारों को सामाजिक सुरक्षा पाँच केंद्रीय अधिनियमों के अंतर्गत प्रदान की जाती है जिनके नाम हैं ईएसआई अधिनियम, ईपीएफ़ एवं एमपी अधिनियम, कामगार क्षतिपूर्ति अधिनियम, मातृत्व लाभ अधिनियम और ग्रैच्युटी भुगतान अधिनियम। इनके अलावा, ऐसे कामगारों के लिए भी बड़ी संख्या में कल्याणकारी निधियाँ बनाई गई हैं जो कि कुछ विशेष वर्गों में काम करते हैं, जैसे बीड़ी मज़दूर, सिने-वर्कर, निर्माण मज़दूर, इत्यादि।