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मूल्यांकन

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राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना का मूल्यांकन:

निति अभिविन्यस्त परियोजनाओं का मूल्यांकन हेतु अध्ययन करना तब आवश्यक हो जाता है जब उनका उद्देश्य समाज के लिए ‘प्रासंगिक’ होना होता है। इसके लिए केवल व्यवस्थापन तथा संस्थान का परीक्षण ही नहीं, अपितु नीतियों तथा परियोजनाओं के उत्पाद का परीक्षण भी आवश्यक है जो की जनसँख्या पर बहुतायत में प्रभाव डालता है। इसके अतिरिक्त, किसी भी कार्यक्रम का सामायिक निरिक्षण बहुत आवश्यक है चूँकि यह निति निर्धारकों को कार्यक्रम को समय समय पर बढ़ने वाली प्रगतिशील मांग के अनुसार अधिक उपयोगी तथा अनुकूल बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाने में सहायता करती है। इस प्रकार, राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना का मूल्यांकन सामाजिक, आर्थिक तथा वैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना की प्रभाविकता का मूल्यांकन निर्णय लेने वालों को कमियों को पहचानने में तथा वांछित उद्देश्य प्राप्ति हेतु सुधारात्मक कदम प्रारंभ करने में, अथवा जमीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखतें हुए कार्यनीति में सुधार करने में सहायता करेगी। इन सबसे महत्वपूर्ण, एक मध्यावधि मूल्यांकन प्रक्षेपक कार्यक्रम की रूप-रेखा में अपर्याप्तताओं को दूर करने के प्रयास के साथ साथ सबसे अच्छी नीतियों की पहचान करने तथा उन्हें सशक्त करने में भी सहायक होता है।

कई कारणों से राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना का परिणाम देश भर में पृथक हो सकता है। हालाँकि इसे केवल उन्ही जिलों में लागू किया गया है जिनका वर्णन “बाल श्रम स्थान” के रूप में होता है, फिर भी प्रत्येक जिले में बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेले जाने के अपने अलग अलग कारक हैं। किसी जिलें में पीड़ित, अधिक संख्या में लडकें होंगे, तो किसी अन्य जिले में अधिक संख्या में लड़कियां होंगी। इसी प्रकार, देश के कुछ भागों में, श्रमिकों का निरंतर प्रवासन इसमें सम्मिलित हो सकता है, तो किसी अन्य जिले में प्रवासन अधिक मंद हो सकता है। राज्य सरकार, अधिकारी-वर्ग अथवा समुदाय के स्तर पर सामाजिक कारकों की प्रतिबद्धता भी बहुत अधिक मात्रा में भिन्न हो सकती है।

देशव्यापी मूल्यांकन की आवश्यकता, योजना अवधि के दौरान परियोजना की दिशा, प्रस्तावित सुधारों, परिवर्तनों तथा विस्तार के आंकलन के लिए है। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के मूल्यांकन अध्ययन के लिए भारत सरकार के श्रम तथा रोजगार मंत्रालय ने अपनी स्वायत्त निकाय, वी.वी. गिरी राष्ट्रिय श्रम संसथान (VVGNLI) को अधिकृत किया है। जमीनी स्तर पर वास्तविक मूल्यांकन देश भर में फैले स्वतन्त्र तथा स्वायत्त संस्थानों ने किया तथा समग्र परियोजना में समन्वयन तथा प्रबोधन की भूमिका VVGNLI ने निभाई। मूल्यांकन की मांग योजना आयोग ने श्रम तथा रोजगार मंत्रालय के एनसीएलपी के ६०० अन्य राज्यों में विस्तार के ११वी योजना के प्रस्ताव के उत्तर स्वरुप की।

इस मूल्यांकन के लक्ष्य निम्न हैं:

  • एनसीएलपी संस्थाओं तथा एनसीएलपी विद्यालयों की कार्य पद्धति तथा प्रतिष्ठा का मूल्यांकन करना;
  • एनसीएलपी के क्रियान्वयन तथा प्रबोधन में राज्य सरकारों/ जिला प्रशाशन तथा क्रियान्वयन एजेंसी के संपूरक प्रयासों के परिमाण तथा स्वरूप का परीक्षण;
  • परियोजना के विभिन्न घटकों की, १०वी योजना के दौरान प्रारंभ किये गए घटकों पर विशेष सन्दर्भ के साथ, एनसीएलपी के उद्देश्यों की पूर्ति में प्रभाविकता का अध्ययन; तथा
  • एनसीएलपी के लिए विशिष्ट कार्रवाई की योजना सुझाकर निति निरूपण में योगदान देना।


मूल्यांकन एनसीएलपी की कुटनीतिक रुपरेखा, उद्देश्यों, गतिविधियों तथा विभिन्न हितधारियों तथा सामाजिक साझेदारों का इस परियोजना के क्रियान्वयन तथा प्रबोधन में सहभागिता का निरिक्षण करता है। मूल्यांकन के अंतर्गत एनसीएलपी विद्यालयों का निरिक्षण तथा इन विद्यालयों तथा परियोजना की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में उनके विचार जानने हेतु तथा परियोजना के विभिन्न प्रदेय उत्पादों के सम्बन्ध में उनकी अभिज्ञताओं के आंकलन हेतु जनसँख्या के विभिन्न भागों तक पहुंचना जिसमे एनसीएलपी विद्यालय के विद्यार्थी, उनके अभिभावक तथा शिक्षक, साधारण विद्यालयों के शिक्षक तथा प्राचार्य, क्षेत्र अधिकारी, प्रयोजन निदेशक, पारियोजना संस्था के सदस्य, गैर सरकारी संस्था, समुदाय नेता तथा विभिन्न सरकारी विभागों के विभिन्न अधिकारी सम्मिलित हैं। यह कार्य-प्रणाली पुनः प्रयोग, अवलोकनों को समृद्ध तथा विभिन्न मूल्यांकन प्रणालियों के उपयोग हेतु अनुभवों के प्रलेखन पर जोर देती है।