महिला श्रम के बारे में
महिलाएं भारतीय कार्यबल का एक अभिन्न अंग बनाती हैं। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार, महिलाओं की श्रम भागीदारी दर 2001 में 25.63 प्रतिशत थी। यह 1991 में 22.27 प्रतिशत और 1981 में 19.67 प्रतिशत की तुलना में वृद्धि है। जहां महिला श्रम भागीदारी दर में वृद्धि रही है, वहीं यह पुरुष श्रम भागीदारी दर की तुलना में लगातार उल्लेखनीय रूप से कम होती जा रही है। 2001 में, ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रम भागीदारी दर 30.79 प्रतिशत थी वहीं शहरी क्षेत्रों में 11.88 प्रतिशत थी। ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाएं मुख्य रूप से कृषि कार्यों में शामिल होती हैं। शहरी क्षेत्रों में, लगभग 80 प्रतिशत महिला श्रमिक संगठित क्षेत्रों में काम करती हैं जैसे घरेलू उद्योग, छोटे व्यापार और सेवाएं, तथा भवन निर्माण। 2004-05 के दौरान देश में कुल श्रम-शक्ति का अनुमान 455.7 मिलियन लगाया गया है जो विभिन्न राज्यों के लिए एम्प्लॉमेंट/अनएम्प्लायमेंट और जनसंख्या फैलाव पर एनएसएस 61वां राउंड सर्वे पर आधारित है। महिला श्रमिकों की संख्या 146.89 मिलियन थी या कुल श्रमिकों का केवल 32.2 प्रतिशत थी। इन महिला श्रमिकों में लगभग 106.89 मिलियन या 72.8 प्रतिशत कृषि कार्य करती थी यहां तक कि पुरुष श्रमिकों में उद्योग की भागीदारी केवल 48.8 प्रतिशत था। ग्रामीण श्रम-शक्ति में उद्योग की कुल भागीदारी लगभग 56.6 प्रतिशत थी।
महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षात्मक प्रावधानों की सूचीः
महिला श्रमिकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक प्रावधान हैं:
सुरक्षा/स्वास्थ्य उपाय
- फैक्ट्री ऐक्ट (कारखाना अधिनियम), 1948 का सेक्शन (खंड) 22(2) के अनुसार किसी भी महिला को प्राइम मूवर (मूल गति उत्पादक) या किसी भी ट्रांसमिशन मशीनरी के किसी भी भाग की सफाई, ल्युब्रिकेट या समायोजित करने की अनुमति नहीं होगी जब प्राइम मूवर ट्रांसमिशन मशीनरी गति में होता है, अथवा मशीन के किसी भी भाग की सफाई, ल्युब्रिकेट या समायोजित करने की अनुमति नहीं होगी यदि सफाई, ल्युब्रिकेशन अथवा समायोजन के कारण महिला को उस मशीन से अथवा आसपास के मशीन से घायल होने का खतरा हो।
- फैक्ट्री ऐक्ट (कारखाना अधिनियम) 1984, सेक्शन 27, द्वारा कॉटन प्रेसिंग के लिए जिसमें कॉटन ओपनर काम कर रहा होता है, कारखाने के किसी भी भाग में महिला श्रम को प्रतिबन्धित किया गया है।
रात्रि में कार्य निषेध
- फैक्ट्री ऐक्ट (कारखाना अधिनियम) 1948, सेक्शन (खंड) 66(1)(बी), के अनुसार किसी भी महिला को किसी भी कारखाने में 6 बजे सुबह से लेकर शाम 7 बजे के बीच के समय के अलावा काम करने की अनुमति नहीं है।
- बीड़ी और सिगार वर्कर (रोजगार की शर्ते) ऐक्ट 1966, सेक्शन (धारा) 25 के अनुसार किसी भी महिला को 6 बजे सुबह से लेकर शाम 7 बजे के बीच के समय के अलावा औद्योगिक परिसर में काम करने की अनुमति नहीं है।
- माइंस ऐक्ट (खान अधिनियम) 1952, सेक्शन 46(1)(बी) महिलाओं को किसी भी जमीन के ऊपरी खदान में 6 बजे सुबह से लेकर शाम 7 बजे के बीच के समय के अलावा काम करने की अनुमति नहीं है।
भूमिगत कार्य का निषेध
- माइंस ऐक्ट (खान अधिनियम) 1952, सेक्शन 46(1)(बी) जमीन के नीचे के खान के किसी भी भाग में महिला श्रम को प्रतिबन्धित करता है।
मेटर्निटी बेनिफिट (प्रसूति - लाभ)
- मेटर्निटी बेनिफिट ऐक्ट 1961, बच्चे के जन्म से पहले और बाद में निश्चित प्रतिष्ठानों में निश्चित अवधि के लिए महिला श्रम को नियंत्रित करता है और मातृत्व लाभ प्रदान करता है। भवन एवं अन्य कंस्ट्रक्शन (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996 महिला लाभार्थी को मातृत्व लाभ के लिए वेलफेयर फंड (कल्याण निधि) प्रदान करता है।
महिला श्रमिकों के लिए अलग शौचालय और पेशाबघर का प्रावधान
महिला श्रमिकों के लिए अलग शौचालय और पेशाबघर का प्रावधान जो निम्नलिखित के अंतर्गत आता है:
- कॉन्ट्रेक्ट लेबर (विनियमन एवं उन्मूलन) ऐक्ट, 1970 का नियम 5
- फैक्ट्री ऐक्ट (कारखाना अधिनियम), 1948 की धारा 19।
- इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन (इंटर स्टेट प्रवासी कर्मकार) (आरईसीएस) सेंट्रल रूल्स (केन्द्रीय नियम), 1980 का नियम 42।
अलग धोने की (वॉशिंग) सुविधा का प्रावधान
महिला श्रमिकों के लिए अलग धोने की (वॉशिंग) सुविधा का प्रावधान जो निम्नलिखित के अंतर्गत आता है:
- कॉन्ट्रेक्ट लेबर (विनियमन एवं उन्मूलन) ऐक्ट, 1970 का सेक्शन (धारा) 57।
- फैक्ट्री ऐक्ट, 1948 का सेक्शन (धारा) 42।
- इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन (इंटर स्टेट प्रवासी कर्मकार) (आरईसीएस) ऐक्ट, 1979 का सेक्शन(धारा) 43।
क्रेच का प्रावधान
क्रेच का प्रावधान जो निम्नलिखित के अंतर्गत आता है:
- माइंस ऐक्ट (खान अधिनियम) 1952 का सेक्शन (धारा) 20।
- फैक्ट्री ऐक्ट (कारखाना अधिनियम), 1948 का सेक्शन (धारा) 48।
- इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन (आरईसीएस) अधिनियम, 1979 का सेक्शन (धारा) 44।
- प्लांटटेशन लेबर एक्ट (बागान श्रम अधिनियम), 1951 का सेक्शन (धारा) 9।
- बीड़ी और सिगरेट वर्कर (रोजगार की शर्ते) अधिनियम 1966, का सेक्शन (धारा) 25।
- बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन (भवन एवं अन्य कंस्ट्रक्शन) (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996 का सेक्शन 35।
रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय के अन्तर्गत "महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण"
डीजीईटी नोडल एजेंसी होने के नाते, देश में महिलाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण को संभालता है, महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम मुहैया करता है। 1977 में डीजीईटी के अंतर्गत एक अलग वुमेन ट्रेनिंग विंग की स्थापना की गई थी। यह विंग देश में महिलाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण से संबंधित दीर्घावधिक नीतियों के निर्माण और क्रियांवयन के लिए जिम्मेदार है।
महिलाओं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य है महिलाओं को कुशलता प्रशिक्षण सुविधाओं में उनकी भागीदारी को बढ़ाकर अर्ध-कुशल/कुशल तथा उच्चतम कुशल श्रमिक के रूप में उद्योग जगत में महिला रोजगार को बढ़ावा देना। यह कार्यक्रम विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षक मुहैया करने के लिए महिलाओं हेतु आधारभूत (क्राफ्टमेन ट्रेनिंग स्कीम के तहत), ऐडवांस तथा पोस्ट-ऐडवांस लेवल पर कुशलता प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, महिलाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण संस्थान केन्द्रीय और राज्य क्षेत्रक योजनाओं के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं।
- केन्द्रीय क्षेत्रक के तहत डीजीईटी द्वारा वुमेन ट्रेनिंग विंग के अंतर्गत 11 संस्थानों की स्थापना की गई है जिसमें नोएडा में एक नेशनल वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टिच्यूट (एनवीटीआई) फॉर वुमेन तथा मुम्बई, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, हिसार, इन्दौर, कोलकाता, तुरा, इलाहाबाद, वडोदरा और जयपुर में 10 रीजनल वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टिच्यूट (आरवीटीआई) शामिल हैं।
- ये संस्थान उन महिलाओं के लिए कुशलता/व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाते हैं जो दशवीं अथवा बारहवीं उत्तीर्ण चुकी हैं तथा विभिन्न कोर्सों के लिए विशिष्ट योग्यता शर्तों के लिए क्वालिफाई करती हैं। पाठ्यक्रमों को नामांकन के लिए आयु की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। स्वरूपित दीर्घावधिक पाठ्यक्रमों के अलावा, उपर्युक्त संस्थान सामान्य वर्गों – गृहिणी, छात्र, स्कूल ड्रॉपआउट इत्यादि के लिए आवश्यकता-आधारित लघु-कालिक पाठ्यक्रम तथा आईटीआई इंस्ट्रक्टर के लिए ऐडवांस स्किल/अध्यापन में फ्रेशर ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाते हैं।
- स्टेट सेक्टर के अंतर्गत महिला आईटीआई/निजी वुमेन आईटीआई/विंग्स जनरल आईटीआई में व्यावसायिक प्रशिक्षण आयोजित करता है जो सीधे संबंधित स्टेट/यूटी सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
ऐडवांस और पोस्ट-ऐडवांस ट्रेनिंग प्रोग्राम्स जिसे वुमेन ट्रेनिंग द्वारा एनवीटीआई/आरवीटीआई में ऑर्गेनाइज किया जाता है अब एनसीटीवी की अनुशंसा के अनुसार ईटीआई के साथ अलाइन हो रहा है।
8 संस्थान जैसे एनवीटीआई, नोएडा, आरवीटीआई – इलाहाबाद, कोलकाता, तुरू, मुम्बई, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम और जयपुर के पास उनका स्वयं का भवन है जिसमें प्रशिक्षुओं के लिए आवास सुविधा (आरवीटीआई, मुम्बई के अलावा, जो एटीआई, मुम्बई के साथ हॉस्टल का साझा करता है)। आरवीटीआई, पानीपत के लिए (हिसार में) वडोदरा और इन्दौर, प्रशिक्षुओं के लिए हॉस्टल के साथ स्थायी भवन सीपीडब्ल्यूडी द्वारा निर्माणाधीन है।
आरवीटीआईआई आरवीटीआई में वर्तमान में 6500 प्रशिक्षुओं से अधिक को विभिन्न दीर्घ-कालिक और लघु-कालिक पाठ्यक्रमों में मैन्युअली प्रशिक्षित किया जाता है। ये सभी सीटें विशेष रूप से महिलाओं के लिए हैं। आरक्षण भारत सरकार के नियमों के अनुरूप है।
वर्तमान में आईडीओआई रु. का भत्ता प्रति महीने आधारभूत पाठ्यक्रमों में स्वीकृत संख्या का 25 प्रतिशत प्रदान किया जाता है। भत्ता के अतिरिक्त, 125 रु. प्रति महीने की दर से 4 प्रतिशत स्वीकृत संख्या के लिए स्कॉलरशिप प्रदान किया जाता है।
महिलाओं की सशक्तिकरण पर संसदीय समिति, जो ‘महिला व्यावसायिक प्रशिक्षण’ पर आध्ययन पर आधारित है, ने निरीक्षण के लिए एक सूची अग्रसारित किया है और महिलाओं के व्यावसायिक और प्रशिक्षण प्रोग्राम के री-ओरिएंटिंग और स्ट्रेंथेनिंग के लिए अनुशंसा किया है।
महिलाओं के स्किल डेवलपमेंट और ट्रेनिंग पर वर्किंग ग्रुप की सशक्तिकरण पर संसदीय समिति की अनुशंसाओं और निरीक्षणों के आधार पर ग्यारहवीं पंच वर्षीय योजना के दौरान प्रावधान बनाया गया था ताकि आन्ध्रप्रदेश, हिमाचलप्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, दिल्ली, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, असम और जम्मू एवं कश्मीर राज्यों में पीपीपी के अंतर्गत 12 और आरवीटीआई स्थापित किए जाएं। “इन-प्रिंसिपल” स्वीकृति के लिए प्रोपोजल प्लानिंग कमीशन को भेजा गया था। प्लानिंग कमीशन का कहना था कि यह ग्यारहवीं प्लान आउटले के तहत मौजूदा योजना का प्रसार है इसलिए “इन-प्रिंसिपल” स्वीकृति की जरूरत नहीं थी। उन्होंने एक रिवाइज्ड ईएफसी मेमोरेंडम का सुझाव दिया।
आधारभूत पाठ्यक्रम | ऐडवांस पाठ्यक्रम | पोस्ट-ऐडवांस पाठ्यक्रम |
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ड्रेस मेकिंग (पोशाक बनाना) | ड्रेस मेकिंग (पोशाक बनाना) | प्रिंसिपल टीचिंग (आदर्श शिक्षण) |
हेयर एंड स्किन केयर (बालों और त्वचा की देखभाल) | ब्यूटी कल्चर और हेयर ड्रेसिंग | |
फल और सब्जियों का संरक्षण | कढ़ाई और सुई शिल्प | |
इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक | इलेक्ट्रानिक्स | |
आशुलिपि (हिन्दी) | सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस (हिन्दी) | |
सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस (अंग्रेजी) | सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस (अंग्रेजी) | |
आर्किटेक्चर ड्रॉफमैनशिप डेस्क टॉप पब्लिशिंग | आर्किटेक्चर असिसटेंटशिप | |
कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं प्रोग्रामिंग असिसटेंट | ||
फैशन टैक्नोलॉजी | ||
इंस्ट्रूमेंट मैकेनिक (यंत्र निरीक्षक) | ||
कैटरिंग और हास्पिटैलिटी |