दसवीं पंचवर्षीय योजना से केन्द्रीय सरकार औद्योगिक अधिकरण कम श्रम न्यायालय योजना के अंतर्गत औद्योगिक विवादों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए लोक आदालतों द्वारा औद्योगिक विवादों को शीघ्र निपटाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की शुरूआत की गई है। इसका उद्देश्य औद्योगिक विवादों को शीघ्र सुलझाने एवं लंबित मामलों को कम करने के लिए एक समानांतर करना है। हालांकि इस व्यवस्था की सफलता इस पर निर्भर करती है कि याचिकाकर्ता इस व्यवस्था से विवाद सुलझाने के लिए कितने तैयार है। केन्द्रीय सरकार औद्योगिक अधिकरण कम श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका केवल सुविधा प्रदात्ता की है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में इस व्यवस्था को न्यायिक व्यवस्था का अभिन्न अंग बनाया गया।