वैधानिक प्रावधान

वैधानिक प्रावधानों के तहत बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम १९८६ में लागू किया गया।

बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम १९८६

  • बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम १९८६, के अनुसार "बच्चे" का मतलब है एक व्यक्ति जिसने अपनी उम्र के 14 वर्ष पूरा नहीं किये है.
  • यह अधिनियम, अधिनियम की अनुसूची के भाग क एवं ख (धारा ३) में शामिल १८ व्यवसाय और ६५ प्रक्रियाओं में बच्चों की नियुक्ति को प्रतिबंधित करता है।
  • अधिनियम के तहत, अनुसूची में और व्यवसायों तथा प्रक्रियाओं को शामिल करने का परामर्श देने के लिए एक तकनीकी सलाहकार समिति का गठन किया गया है।
  • अधिनियम ऐसे सभी व्यवसायों और प्रक्रियाओं में रोज़गार की स्थिति को नियंत्रित करता है जो अधिनियम (भाग III) के तहत निषिद्ध नहीं हैं।
  • अधिनियम की धारा ३ के प्रावधानों के उल्लंघन में किसी भी बच्चे को नियोजित करने वाला कोई भी व्यक्ति कारावास सहित दंड का भागी होगा, जिसकी अवधि तीन महीने से कम नहीं होगी, पर जो एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना, जो १०, ००० रुपए से कम नहीं होगा लेकिन जिसे २०,००० रुपयों तक बढ़ाया जा सकता है या कारावास तथा जुर्माना, दोनों सज़ा पा सकता है। (धारा १४)।
  • केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा अपने संबंधित क्षेत्रों में अधिनियम के प्रावधान लागू किए जाते हैं।
  • केन्द्रीय सरकार के नियंत्रणाधीन प्रतिष्ठानों या रेलवे प्रशासन या प्रमुख बंदरगाह या खदान या तेल क्षेत्र के संबंध में केन्द्रीय सरकार, और अन्य सभी मामलों में, राज्य सरकार, बाल श्रम अधिनियम (पी एंड आर) के प्रवर्तन के लिए उपयुक्त प्राधिकारी है।.