परिचय
1948 में देश में वेतन संरचना के लिए दिशानिर्देश प्रदान करने के लिए एक त्रिपक्षीय समिति जैसे "उचित वेतन पर बनी समिति" का गठन किया गया। भारत में वेतन नीति के सूत्रीकरण के इतिहास में इस समिति की रिपोर्ट एक मुख्य मील का पत्थर बनी। इसकी अनुशंसाओं से वेतन निर्धारण के लिए दिशानिर्देश तय करने के अलावा 'जीविका वेतन, न्यूनतम वेतन' तथा 'उचित वेतन' की प्रमुख अवधारणाओं का जन्म हुआ। अनुच्छेद 39 के अनुसार, विशेषकर रूप से राज्य, इसकी नीति को निम्नलिखित बिन्दुओं की सुनिश्चितता के लिए निर्देशित करेगा:-
(अ) नागरिक, व्यक्ति तथा महिला को समान आजीविका का हक प्राप्त हो तथा
(ब) पुरुषों और महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले।
अनुच्छेद 43 के अनुसार, राज्य उपयुक्त विधान या आर्थिक संस्थान द्वारा या किसी अन्य विधि से, सभी श्रमिकों को, कृषि संबंधी, औद्योगिक या अन्य, कार्य, जीविका वेतन प्रदान करने की कोशिश करेगा, जीवन के उचित मानदंड को सुनिश्चित करते हुए कार्य की स्थितियां बनाएगा तथा आराम की पूर्ण व्यवस्था एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक अवसर प्रदान करने की कोशिश करेगा।
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