Menu
Swachh Bharat, External Link that opens in a new window
 
मुख्य पृष्ठ >> उच्चतम न्यायालय के निर्देशों >>

उच्चतम न्यायालय के निर्देशों

यथा १० दिसंबर, १९९६ के अपने फ़ैसले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की मुख्य विशेषताएँ

बाल श्रम के उन्मूलन के मुद्दे पर १० दिसंबर, १९९६ को एम. सी. मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य की रिट याचिका (नागरिक) सं. ४६५/१९८६ पर भारतीय उच्चतम न्यायालय ने कुछ निर्देश दिए। निर्णय की मुख्य विशेषताएं निम्नतः हैं:

  • काम करने वाले बच्चों की पहचान के लिए सर्वेक्षण;
  • उद्योग में काम करने वाले बच्चों को वहाँ से बाहर निकालना और उचित संस्थानों में उनकी शिक्षा सुनिश्चित करना;
  • उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं को इस उद्देश्य के लिए स्थापित की जाने वाली कल्याण निधि में रु. २०,०००/- प्रति बच्चे की दर से अंशदान का भुगतान करना होगा;
  • इस प्रकार काम से छुड़ाए गए बच्चे के परिवार के एक वयस्क सदस्य को रोज़गार और यदि यह संभव न हो, तो राज्य सरकार द्वारा कल्याण निधि में रु. ५,०००/- का अंशदान देना होगा;
  • काम से इस प्रकार हटाए गए बच्चों के परिवारों को, वास्तव में बच्चे को स्कूल भेजे जाने की अवधि तक, कल्याण निधि में जमा रु. २०,००० / २५,००० के संग्रह पर अर्जित ब्याज से वित्तीय सहायता प्रदान की जाए;
  • ग़ैर-ख़तरनाक व्यवसायों में काम करने वाले बच्चों के लिए काम के घंटों का विनियमन, ताकि सुनिश्चित हो सके कि उनका कार्य-समय छह घंटे प्रति दिन से ज़्यादा न हो और शिक्षा के लिए उन्हें हर रोज़ कम से कम दो घंटे मिले। शिक्षा का पूरा व्यय संबद्ध नियोक्ता द्वारा वहन किया जाए।
  • माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन पर श्रम मंत्रालय द्वारा निगरानी रखी जा रही है और राज्य / संघ शासित प्रदेशों की सरकारों से प्राप्त सूचना के आधार पर माननीय न्यायालय को दि. ०५.१२.९७, २१.१२.१९९९, ०४.१२.२००० और ०४.०७.२००१ को शपथ-पत्र के रूप में दिशा-निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट भेजी गई।


बाल श्रम पर प्रवर्तन आंकड़े
वर्ष निरीक्षणों उल्लंघन अभियोजन (अभियोग पक्ष) अपराधी ठहराना
२००७ ३५१२७९ ९९७९ १२७०५ ६१७
२००८ ३५५६२९ २७०९ १११४९ ७४२
२००९ २९५५७२ १७१९ ११०३३ १३१२
२०१० २१३५४४ २२१९ ८८५४ १२२६
२०११ ३९९६३ १२५८ ३९०४ ३६६
कुल १२५५९८७ १७८८४ ४७६४५ ४२६३